Thursday, October 5, 2017

शब्द का गुरुत्व

आवाज में भरो इरादों की इतनी बुलंदी
जुर्रत न कर सके अनसुना करने की कोई
आती है आवाज में बुलंदी शब्दों के गुरुत्व से
शब्द ही गढ़ते हैं नारे मुक्ति के प्रभुत्व से
शब्दों से ही तो आतंकित हैं सारे तानाशाह
पोंगा, पाखंडी, धर्मांध और थैलीशाह
शायर का काम है आवाज लगाते रहना
दम है ग़र शब्दों में सुनेगा ही जमाना
(ईमि:06.10.2017)

No comments:

Post a Comment