Friday, December 8, 2017

शिक्षा और ज्ञान 136 (कौटिल्य और जीयसटी)

बीयचयू में पहले भी ऐसे जीव होते रहे हैं, लेकिन ई त सबके कान काट दिया। कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में जीयसटी के राजनैतिक अर्थशास्त्र का जिक्र नहीं किया तो गलत किया और राष्ट्रभक्तों को उनकी गलती सुधारने का हक है। ई कौशल गुरू क नांव त अबहीं सुने, इस पर्चे की चर्चा दिल्ली विवि के शिक्षकों में सुबह से ही है। ई लगता है अर्थशास्त्र कभी पढ़ा नहीं और शासनशिल्प के महान ग्रंथ को इकोनॉमिक्स समझ लिया और जीयसटी घुसेड़ दिया। आपलोगों की जबानी इस चरित्र के बारे में जो जाना, एक चुटकुला याद आ गया। "एक चमचा बॉस के घर गया, बॉस का बेटा सीढ़ियों पर पेशाब कर रहा था और धार उसके पैंट तक पहुंच गयी। चमचा बॉस को देखकर बोला, 'क्या सर कितना सलीकेदार है आपका बेटा कितनी खूबसूरत धार में पेशाब करता है'। बॉस ने नाक पर रूमाल रखा कहा, 'भागो यहां से, जाओ पहले पैंट बदल कर आओ, कैसे कैसे गंदे लोग आ जाते हैं...' " चुटकुला तो और भी आगे जा सकता है, होगा आप लोगों का गुरू, मैं क्यों ज्यादा घास डालूं। ये अभागे दयनीय जीव हैं जिन्हें शिक्षक होने का मतलब ही नहीं मालुम।

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