Friday, December 1, 2017

मार्क्सवाद 95 (बहुजन अस्मिता)

दोस्तों शासकवर्ग लोगों को कृतिम या गौड़ अंतर्विरोधों में फंसाकर मुख्य आंतर्विरोध - रोटी के सवाल के अंर्विरोध की धार कुंद करता है। हमें भूख, बेरोजगारी, गोआतंक से किसानों की तबाही, श्रम कानूनों से खिलवाड़, बेरोजगारी, बढ़ती गैरबराबरी, साम्रज्यवाद से समक्ष समर्पण आदि अंतर्विरोधों को इतने जोर-शोर से उठाना चाहिए कि धर्म और जाति के सियासदानों का शोर दब जाए। राहुल गांधी का जनेऊ राजनैतिक मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है? नोटबंदी और जीयसटी पर राहुल को मोदी स्टाइल में गब्बर सिंह टैक्स तहने की बजाय किसी अच्छे अर्थशास्त्री से 2-3 दिन का ट्यूसन पढ़ लें और इनके प्रभावों-दुष्प्रभावों पर प्रामाणिकता से बोलें। इस पर मैं कई जगह लिख चुका हूं कि यहां सभी दल अस्मिता आधारित बहुजन के तुष्टीकरण की नीति पर चलते हैं। इस बहुजन की परिभाषा अलग-अलग लोगों के लिए अलग है। अस्मिता आधारित सामाजिक न्यायवादियों के लिए बहुजन की परिभाषा जाति आधारित है जिसमें सभी गैर सवर्ण हिंदू शामिल हैं। यह बहुजन इतना खंडित है कि आज तक कभी साझा हितों का इंटरेस्ट ग्रुप नहीं बन सका। हिंदुत्वफासीवाद के लिए बहुजन की परिभाषा धर्म आधारित है। मुजफ्फरपुर में मुलायम की मोदी से टैसिट समझौता न होता तो सांप्रदायिक उत्पात 2 घंटे में रोका जा सकता था और उत्पातियों के अंदर। जब कुतबा-कुतबी जल रहा था तो आर्मी शहर के बाहर प्रशासन की आज्ञा का घंटों इंतजार करती रही। संगीत सोम पर रासुका हटाकर खुला छोड़ दिया गया। लेकिन मुलायम मुसलमानों के वोट अपनी जागीर समझते थे और जाटों को नाराज नहीं करना चाहते थे। राजीव गांधी ने भाजपाई बहुजन में सेंध मारने के लिए मस्जिद में मंदिर का ताला खोलवा दिया और मेरठ-मलियाना-हाशिमपुरा होने दिया। मुक्ति सामाजिक चेतना के जनवादीकरण यानि वर्गचेतना में ही है। फिलहाल संसदीय वाम की जो दुर्दशा है उसमें लोग कांग्रेस में राजनैतिक मुक्ति की आश देख रहे हैं और कांग्रेस में अंतरदृष्टि वाला नेतृत्व दिख नहीं रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव होने वाला है, ऐसा क्या चुनाव जिसमें परिणाम पहले से मालुम हो। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों को चाहिए कि नोटबंदी, जीयसटी, गोरक्षा के नाम पर आतंक से किसानों की नकदी का नुक्सान और छुट्टा सांड़ों की बढ़ती आबादी से खेती की बर्बादी जैसे मुद्दे जोरदार ढंग से उठाए। गो-आतंक पर कोई नहीं बोलेगा क्योंकि कोई खुलकर नहीं बोल सकता कि गाय उसका माता नहीं है।

No comments:

Post a Comment