Wednesday, February 7, 2018

वेदांतियों में चारवाक

वेदांतियों में चारवाक

मैं बचपन से ही जहां-कहीं जाता हूं
मिसफिट की सर्टीफिकेट पाता हूं
करता हूं जब भी साहस सोचने का
माना गया इसे लक्षण पागल होने का
स्कूल में करता जब भी शिक्षक से सवाल
कहते न करने को दिमाग लगाने का बवाल
बन गया जब बाभन से इंसान
भक्त भेजने लगे पाकिस्तान
पहचान का संकट
असुलझा ही पाता हूं
फैज़ के शब्दों में
कारों के बेदर्द शहर में गज़ले कहता हूं
वेदातियों में चारवाक हूं
एथेंस में सुकरात
हाजियों में काफिर हूं
बुतपरस्तों में हाजी
या फिर वामपंथी पाजी
बरहमन-ओ-शेख मांगते
सीपीयम के अकर्म-कुकर्मों का जवाब
जो देती है अराजकतीवाद का खिताब
मिसफिट होना गलत होना नहीं होता है
लीक तोड़ने का दुस्साहस हो सकता है
(कलम की आवारगी आत्ममोह की तरफ भटक गयी)
(ईमि: 08.02.2018)

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