Saturday, February 17, 2018

लल्ला पुराण 181 (धर्मांधता और विज्ञान)

यह विज्ञान के विरुद्ध धर्मांधता की आलोचना की पोस्ट है। इसमें जेयनयू और 12 करोड़ की हत्या की बात कहां से आ गयी? उस पर अलग से बात की जाये। वैसे यहा आंकड़ा कहां मिला? बात तो सामरिक तैयारी की बजाय हिंदू धर्मस्थानो और सीमा की मिट्टी मिलाकर यज्ञ से सीमा सुरक्षा की धर्मांधता का सरकारी पैसे से आयोजन और प्रचार की अवैज्ञानिकता की आलोचना की है। खंड-खंड तो लोगों को बांटकर, नफरत फैलाकर, मुल्क की सार्वजनिक संपदा औने-पौने दामों में देशी-विदेशी धनपशुओं को बेचकर, बैंकों के माध्यम से लोगों के हजारों करोड़ चुराकर, गाय काटकर दंगे फैलाकर, शिक्षा-स्वास्थ्य-कृषि बजट में कटौती कर कॉरपोरेटों की तिजोरी भरने वाले राष्ट्रवादी कर रहे हैं, जेयनयू तो अखंड मानवता का विचार है। ऊपर लिंक में मैंने बचपन का अनुभव शेयर किया है कि मैं बचपन में इलाके का इतना मशहूर बिच्छू झाड़ने वाला था कि दूसरे गांव के लोग रात में सोते हुए गोद में उठा ले जाते थे। मुझे भी मजा आता था। 10 साल तक पहुंचते-पहुंते मैं ऊब गया और सबको बता दिया कि मुझे मंत्र नहीं आता। मजे की बात तो यह है कि मैंने झाड़ने का तरीका पिता जी का नकल किया था लेकिन उन्होंने कभी नहीं पूछा कि उनका ज्ञान मुझे कैसे मिल गया? बाकी लोग तो सोचते रहे होंगे कि उन्होंने ही सिखाया रहा होगा।

2 comments:

  1. बेचारे आम आदमी को हमेशा से ही ठगने का खेल चलता रहता है

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